कुछ तो बोल राधा ,
श्याम तेरा क्यों न हुआ ,
तू उसके प्रेम में पगली बनी ,
श्याम किसी और का क्यों हुआ।
सुन सखी , प्रेम तो त्याग है
ये देह का नहीं , दिलो का राग है ,
मिल जाते कान्हा मुझे तो ,
फिर हमारा प्रेम कैसे अमर होता।
राधा कृष्ण तो एक है ,
और सदा एक ही रहेंगे ,
एक दूजे के बिना वो अधूरे है ,
एहसास है प्रेम ,
जो शब्दों से बयां मुश्किल से होता है ,
रूह से जुड़े होने का जज्बात है ये ,
बस दिल ही दिल बयां होता है।
प्रेम की पराकाष्ठा ये है सखी ,
उसकी हर सांस में प्रेमी का ,
स्वर होता है ,
दैविक है प्यार तो ,
ये शारीरिक सीमाओं में नहीं बंधा होता है।
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