जीवन अपनी गति से बढ़ रहा ,
कोई आगे - कोई पीछे चल रहा ,
किसी के माथे पर थकन की शिकन ,
कोई मदमस्त गीत गुनगुना रहा ,
देखो !जीवन कारवाँ गुजर रहा।
किसी को क्षितिज के उस पार की चिंता ,
कोई गुबार में उलझ रहा ,
किसी को सहारे की जरुरत ,
कोई अकेला ही चल रहा ,
देखो ! जीवन कारवाँ गुजर रहा।
कही जेठ की धूप झुलसा रही ,
कहीं चाँद अपना अमृत बरसा रहा ,
बनते - बिगड़ते रिश्तो के बीच ,
प्रेम अपनी राह खुद बना रहा ,
देखो ! जीवन कारवाँ चल रहा।
सब उम्मीदों को सहारा बनाकर ,
यादों की गठरी उठाकर ,
अपने सफर को यादगार बनाने की कशमकश में ,
चला जा रहा,
देखो ! जीवन कारवाँ चल रहा।
किसी की ख्वाहिशें पनप रही ,
किसी को सफर लम्बा लग रहा ,
जो अँधेरे में भी साहस न छोड़े ,
उसका सफर आरामदायक कट रहा ,
देखो ! जीवन कारवाँ चल रहा।
राहों में कही फूल बिखरे पड़े ,
कही काटों से भी पाला पड़ रहा ,
संतुलित होकर जो चल रहा ,
इस कारवाँ का आनंद वही ले रहा ,
देखो ! जीवन कारवाँ चल रहा।
चलना अकेले ही है , कुछ साथ आ गए तो अच्छा है ,
कहकहे लगाते आगे बढ़ते रहिये ,
सुख -दुःख बाँटते हुए चलते रहिये,
आपके पदचिन्हो पर वो देखो,
कोई चल कर अब आगे बढ़ रहा ,
देखो ! जीवन कारवाँ चल रहा।
सुंदर रचना.... आपकी लेखनी कि यही ख़ास बात है कि आप कि रचना बाँध लेती है
ReplyDeleteअतिसुंदर रचनाये सर ।
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