कुछ उम्मीदें , कुछ आशाएँ
कुछ विश्वास लेकर रोज़ उठता हूँ ,
कल से बेहतर आज को बनाऊँगा ,
नयी सुबह का आगाज करता हूँ।
दफ़न कर देता हूँ कड़वी यादों को बुरा सपना समझकर ,
अच्छी यादो को संजो लेता हूँ ,
निकल पड़ता हूँ हर रोज़ एक नए सफर में जैसे ,
इस तरह से मैं रोज़ अपना " कारवाँ जारी " रखता हूँ।
मिलते है कई लोग मुझे ,
रोज़ कुछ न कुछ सीख लेता हूँ ,
मेरी ख़ुशमिज़ाजी का राज बस इतना सा हैं ,
दुसरो से ज्यादा अपेक्षा नहीं , खुद पर भरोसा रखता हूँ।
जहाँ से सीख मिले , उसे भी अपनाता हूँ
पत्थर से टकरा जाऊं , तो फिर संभल कर चलता हूँ ,
जीवन उस खुदा का दिया अनमोल तोहफा है ,
"व्यर्थ" न चला जाये , हर मुमकिन कोशिश करता हूँ।
दुसरो से ज्यादा अपेक्षा नहीं , खुद पर भरोसा रखता हूँ ..... एकदम सही बात
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें