Wednesday, April 18, 2018

तितलियाँ

ये रंग बिरंगी तितलियाँ मुझे बहुत भाती है , 
फुर्र से उड़ जाती है , 
कभी इस जगह , कभी उस जगह 
अपने पंख फड़फड़ाती है।  

रंगीनियत सी भरती ये , 
कितनी प्यारी लगती है ,
एक फूल से दूसरे फूल , 
इतराती -इठलाती है।  

छोटे से जीवन में , 
कितना जीवन जी जाती हो  , 
सुनने में असमर्थ तुम  , 
स्वाद का पता पैरो से लगाती हो।    

तितली - ओ तितली , 
तुम कितना कुछ सिखा जाती हो , 
स्वछंद होकर अपनी मस्ती में , 
जीवन को एक नया अर्थ दे जाती हो।  

काश तुम्हारे जैसा जीवन , 
इंसानो की बस्ती में भी होता , 
छोटी छोटी तितलियाँ भी यु ही इठलाती फिरती , 
कुटिल नजरो से काश वह बच पाती।  

बंदखानो दरवाजे के पीछे , 
सिसकियाँ यूँ न गूँजती , 
लेकर अपना जन्म वो , 
तुम जैसा  तितली जीवन जी पाती।  

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