सुना है इश्क का रंग बड़ा गहरा होता है ,
जिसे हो जाये , बस उसे ही लगता है
पर आज के जमाने को देखकर लगता है ,
लद गए वो जमाने अब ,
मॉडर्न वाला इश्क चलता है।
व्यावहारिक हो गया है इश्क अब ,
कई कसौटियों पर तुलता है ,
दिल से नहीं गुजरता अब ,
दिमाग में पहले उतरता है।
नहीं रही अब वो संजीदगी ,
इश्क होने से पहले ब्रेकअप हो जाता है ,
तू न सही , और कोई सही ,
फार्मूला हर बार काम कर जाता है।
इश्क अब यूँ ही नहीं होता ,
पूरी पड़ताल के बाद होता है ,
नजरे मिलाने से पहले ,
उसका फेसबुक, ट्विटर और इंस्ट्रागाम जरूर चेक होता है।
जरुरी भी है वक्त बदल गया है ,
समय के साथ जरूर चलना चाहिए ,
इश्क को भी इस दौर के इम्तेहान देने चाहिए ,
उसकी "हां" या "न " के इंतजार के बीच दो चार ऑप्शन और होने चाहिए।