लहरें ,
पानी की हो ,
या ,
यादों की ,
बहा ले जाती है ,
सब कुछ ,
और जब तन्द्रा टूटती है ,
तब ,
बहुत आगे निकल जाने का ,
एहसास ,
एकाकीपन ,
और आगे बढ़ने की,
मजबूरी ,
या
उम्मीदों का अपनापन।
निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!