मत इतराना अपने गुरुर पर ,
वक्त के आगे ये कुछ भी नहीं ,
देखा है मिट्टी में मिलते ,
रावण को और सिकंदर को भी।
वक्त के आगे ये कुछ भी नहीं ,
देखा है मिट्टी में मिलते ,
रावण को और सिकंदर को भी।
कर्मो की लकीरें ही,
याद रहती है जमाने को ,
जीये तो कृष्ण भी थे ,
और कंस भी।
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