Friday, October 18, 2019

वादा




तुमने वादा किया है मुझसे ,
मिलोगे मुझसे उस दिन ,
जिस दिन मैं जीवन से छक जाऊँगा ,
तृप्त हो जाऊँगा हर चीज से ,
फिर कोई मंजिल नहीं ,
कोई सफर नहीं ,
न कोई हड़बड़ाहट ,
बस शांति और असीम शांति ,
उस दिन हम मिलेंगे ,
और खूब बातें करेंगे। 

मैं भी जल्दी में नहीं हूँ ,
क्यूंकि अभी तो चलना शुरू किया है ,
अभी बहुत कुछ देखना है ,
कुछ अरमानो को धरातली रंग दिखाना है ,
कुछ एहसासो को कैद करना है दिल में ,
कुछ भावो को सतही कत्था चढ़ाना है। 

मिलूँगा , जरूर मिलूँगा , वादा किया है
मगर उससे पहले ये सफर तय कर लूँ ,
सफर में जो मिले , उसे आत्मसात कर लूँ ,
बताने के लिए कुछ तो इकठ्ठा कर लू पोटली में ,
वर्ना तुम समझोगे ,
क्या किया जीवन में ?

Saturday, October 12, 2019

जीवन समर


उतरे है जीवन समर में , 
तो डरना क्या , 
दिया है सिर ओखली में , 
तो मूसल से डरना क्या , 
कर्मो का परिणाम है वर्तमान , 
भविष्य के लिए घबराना क्या , 
मुकद्दर खुद लिखना होता है , 
दुसरो पर दोष मढ़ना क्या ,
जिद्द हो , जूनून हो 
तो क्या पर्वत , क्या आसमान 
क्या सागर की गहराइयाँ 
बैठे रहे तो फिर , 
सपाट रास्ते में भी खाइयाँ।  

हौंसला और विश्वास , 
और कर्म हो अगर साथ , 
भाग्य का बनना और बिगड़ना क्या , 
पुरषार्थ के आगे बेदम है , 
सब बाधाएँ और संकट , 
कर्मतप से पिघल जाये लोहा भी , 
जयगान जीवन का।