तुमने वादा किया है मुझसे ,
मिलोगे मुझसे उस दिन ,
जिस दिन मैं जीवन से छक जाऊँगा ,
तृप्त हो जाऊँगा हर चीज से ,
फिर कोई मंजिल नहीं ,
कोई सफर नहीं ,
न कोई हड़बड़ाहट ,
बस शांति और असीम शांति ,
उस दिन हम मिलेंगे ,
और खूब बातें करेंगे।
मैं भी जल्दी में नहीं हूँ ,
क्यूंकि अभी तो चलना शुरू किया है
,
अभी बहुत कुछ देखना है ,
कुछ अरमानो को धरातली रंग दिखाना है
,
कुछ एहसासो को कैद करना है दिल में
,
कुछ भावो को सतही कत्था चढ़ाना है।
मिलूँगा , जरूर मिलूँगा , वादा किया
है
मगर उससे पहले ये सफर तय कर लूँ ,
सफर में जो मिले , उसे आत्मसात कर लूँ
,
बताने के लिए कुछ तो इकठ्ठा कर लू पोटली
में ,
वर्ना तुम समझोगे ,
क्या किया जीवन में ?
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