प्रकृति का अपना नियम है संतुलन का ,
उसके लिये कोई अमीर -गरीब होता है क्या ?
कुछ भी अकारण नहीं होता जहाँ में ,
किसी का नफा , किसी का नुकसान नहीं होता क्या ?
माना कि हरेक की अपनी क़िस्मत होती है ,
कर्मों से बहुतों ने किस्मत बदली नहीं क्या ?
सभी बँधे है साँसों की एक अदृश्य डोर से,
आज तक कोई अमर हुआ है क्या ?
जितना गुरुर , अहं पाल ले कोई ,
एक दिन मिट्टी में मिला नहीं क्या ?
हर रिश्ते की एक अहमियत है ,
अपेक्षा रखने से पहले उपेक्षा देखी है क्या ?
सुख़ -दुःख तो आते -जाते रहेंगे ,
वक्त कभी सदा सा रहता है क्या ?
कर्मों का स्पष्ट विधान है " आनन्द ",
बिना बीज के कोई पेड़ उगा है क्या ?
ज़िन्दगी तो जीना चाहती है हमारे साथ ,
हमारे पास उसकी सुनने के लिए वक्त है क्या ?