या तो हसरतें जगाती है या जिम्मेदारियाँ ,
दिल तो कहता है - जो है ,जितना है -जिये जा।
कहाँ दिल लगता है नौकरी -चाकरी में ,
धन के बिना फिर औकात है क्या?
मौज में तो हर कोई रहना चाहता है ,
उस मौज का कोई इंतजाम है क्या?
दौड़ तो सभी रहे है "आनन्द " यहाँ ,
हर दौड़ का अंजाम जीत है क्या?
किंकर्तव्यविमूढ़ सा हर शख्श यहाँ ,
चौराहे पर खड़ा सोच रहा जाऊँ कहाँ ?
दिल तो कहता है सरल है ज़िन्दगी ,
दिमाग को उछलने की जरुरत है क्या ?
बेलगाम दौड़ है सब कुछ समेटने की ,
जो समेटा है उसको भरपूर जिया क्या ?
आज खपाना है कल की चिंता में ,
वो कल किसी के हिस्से आया है क्या ?
या तो हसरतें जगाती है या जिम्मेदारियाँ ,
दिल तो कहता है - चादर तान , सो जा।
Good one...real one 👍👍👍👍👍👏👏👏👏
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