Sunday, April 16, 2023

हसरतें

  

या तो हसरतें जगाती है या जिम्मेदारियाँ ,

दिल तो कहता है - जो है ,जितना है -जिये जा।

 

कहाँ दिल लगता है नौकरी -चाकरी में ,

धन के बिना फिर औकात है क्या?

 

मौज में तो हर कोई रहना चाहता है ,

उस मौज का कोई इंतजाम है क्या?

 

दौड़ तो सभी रहे है "आनन्द " यहाँ ,

हर दौड़ का अंजाम जीत है क्या?

 

किंकर्तव्यविमूढ़ सा हर शख्श यहाँ ,

चौराहे पर खड़ा सोच रहा जाऊँ कहाँ ?

 

दिल तो कहता है सरल है ज़िन्दगी ,

दिमाग को उछलने की जरुरत है क्या ?

 

बेलगाम दौड़ है सब कुछ समेटने की ,

जो समेटा है उसको भरपूर जिया क्या ?

 

आज खपाना है कल की चिंता में ,

वो कल किसी के हिस्से आया है क्या ?

 

या तो हसरतें जगाती है या जिम्मेदारियाँ ,

दिल तो कहता है - चादर तान , सो जा।

1 comment:

  1. Good one...real one 👍👍👍👍👍👏👏👏👏

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