जकड़ रही तकनीक हमें ,
दिमाग कुंद कर रही ,
मकड़जाल फ़ैल रहा ऐसा
,
हर इंसान अदृश्य कैद
में जी रहा।
बेशक तकनीक जीवन आसान
कर रही ,
स्थापित मानव मूल्यों
से समझौता कर रही ,
संवेदनायें धीरे धीरे
ख़त्म कर रही ,
आभासी दुनिया,असल दुनिया
को कुतर रही।
शिकायत तकनीक से नहीं
है ,
तकनीक पर निर्भरता से
है ,
आदी बना रही शनैः -शनैः
,
वरदान से अभिशाप न बने
शनैः -शनैः।
इंटरनेट ने जोड़ दिया
सब ,
इंटरनेट ही तोड़ रहा सब
,
नीयत का सब खेल तकनीक
,
इस युग में देव- दानव
बनायेगी तकनीक।
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