Saturday, August 31, 2024

क्या लिखूँ ?

 

 

शब्दों में "बेचैनी" है ,

भावनाओं में "उबाल",

कागज़ "मलिन " हो गया ,

कलम कहाँ करे "गुहार " ।

 

अनर्गल "प्रलाप " चहुँओर है ,

वर्चुअल दुनियाँ में भयंकर "शोर" है ,

सब्र , संयम अब "बीती" बात है ,

"विरोध" का ही जोर है। 

 

अहं का "वहम " जारी है ,

"गुरु " पर गूगल भारी है ,

"भूख" रोटी तक सीमित नहीं अब ,

इतनी "भागदौड़" -जेब खाली है। 

 

"शॉर्टकट" सब ढूँढ रहे ,

मेहनत में "मगज़मारी" है ,

"दिखावटी" बाज़ार अटा पड़ा है ,

"शोशेबाज़ी"- हर जगह जारी है। 

 

हुक्मरान "स्वार्थी" हो चुके ,

जनता -जनार्दन के हाल "बेहाल",

"विश्वास" तीतर हो चुका है ,

लिखे कलम क्या - "ए आई" नया बवाल। 

 


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