Friday, November 14, 2025

लोकतंत्र में चुनाव


प्रतिनिधि चुनना है , 

जो काम आये लोगों के ,

जो सरकार से बात करे , 

सरकार में शामिल होकर , 

जो जान सके दुःख दर्द , 

जो नब्ज पकड़ सके वक्त -बेवक्त , 

वही जीतना चाहिये , 

उसी को जीताना चाहिए , 

यही है लोकतंत्र का , 

सबसे बड़ा मूलमंत्र , 

अब चुनाव में , 

कौन जीतता है ? 

कौन हारता है ? 

इसके बहुत से है कारक , 

जनता तो उसे ही चुनेगी , 

जिससे लगेगा , 

वक्त पर सुनेगा बात , 

वर्ना जनता तो अपना दुखड़ा , 

रो ही रही है सालों से , 

सुनता कौन है ? 

एक बार चुनाव जीतकर , 

मगर लोकतंत्र की तो आत्मा बसी है चुनावों पर , 

होते रहेंगे जनता से , जनता के लिये , जनता द्वारा , 

जायेंगे सरकार में चुने हुए उम्मीदवार , 

अब उनपर निर्भर , 

कितना अनसुना करेंगे , कितना सुनेंगे , 

आयेंगे फिर लौट कर, 

फिर कहाँ जायेंगे बचकर।  

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