यकीन जानिये ,
संघर्ष सबकी ज़िन्दगी में है ,
वो बात अलग है ,
सबके संघर्ष का स्तर अलग -अलग है।
कोई संघर्ष से निखरता है ,
कोई संघर्ष से बिखरता है ,
कोई टूट जाता है ,
कोई नई परिपाटी गढ़ जाता हैं।
बिना संघर्ष के जो पाता है ,
उसे क्या पता स्वाद संघर्ष का ,
भुरभुरा सा ज़िन्दगी भर ,
इक नन्ही ठोकर से बिखर जाता हैं।
जो खड़ा रहता है संघर्षो में सीना तान ,
फिर उसके लिए क्या आँधी -तूफ़ान ,
तैयार हर परिस्थिति के लिये ,
शून्य से फिर खड़ा कर देता है मुकाम।
जो बाधाओं से लड़ता है ,
जो संघर्षो में तपता है ,
वही निखर कर इक दिन ,
जग में "हीरे" सा दमकता हैं।
डटा रहा अंतिम समय तक ,
वक्त तेरे लिये फिर थम जायेगा ,
तेरे जूनून की जिद्द में ,
जमीन क्या आसमां भी झुक जायेगा।
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