अपनी बहन को शादी के दिन विदा करते हुए,
कितना अपने दिल को समझाया था !
आँखों की कोरे गीली नहीं होने दूंगा ,
रह रह कर मन को समझाया था !
मगर जब विदाई की बेला आई ,
तो खुदबखुद आंसू छलक आये !
उसके साथ बिताये वो हर पल आँखों में तैर गए.
दुनिया की रीत के आगे हम भी झुक गए !
हमारी छोटी सी गुडिया हमें छोड़ के चली गयी ,
हम आँखों में पानी लिए मुस्कराते रह गए !
बचपन से उसकी जवानी तक हम उसके रक्षक बने रहे,
एक दिन फिर एक अनजान से सफ़र पर उसको अकेला विदा कर गए.
(यह कविता समप्रित है सब भाई बहनों को, जिनके बीच स्नेह और प्यार कहा अटूट बंधन होता हैं. )
bahut bhavpoorn rachna hain
ReplyDeleteSir i can understand the happiness & pain of that moment.
ReplyDeleteGanesh Chand Kandpal
soooooooooo touching
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