मैं कौन हूँ, मुझे मुझसे मेरी पहचान करा दे.
भीड़ में खड़ा हूँ, मैं सबसे अलग कैसे हूँ,
ऐ मेरे खुदा मुझे इतना तू बतला दे.
मैं जानता हूँ, तुने मुझे यू ही नहीं भेजा होगा धरती पर,
तू मुझे मेरे मकसद में लगा दे.
यू बेमकसद ज़िन्दगी गुजारी नहीं जाती,
कुछ कर गुजरने की चाहत जीने नहीं देती ,
मगर यू ही वक़्त गुजरता हैं हर रोज़,
मंजिल कौन सी हैं , कहाँ हैं इसका पता नहीं.
हर रोज़ टटोलता हूँ अपने आप को ,
मैं कौन हूँ और मेरा मकसद क्या.
बहुत खूब!! सभी इसी तलाश में है.
ReplyDeletedil ki baat likh dee sir.
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