बॉस कहता हैं ऑफिस तेरी पहली प्राथमिकता हैं,
क्यूंकि तेरी रोज़ी रोटी इसी से चल रही हैं.
आठ घंटे तो दिखाने के हैं, बाकी के घंटे काम करने से ही आगे दरवाजे खुलने हैं.
घर पर बीवी कहती हैं ,
घर तेरी पहली प्राथमिकता हैं , घर पर ज्यादा समय देना ज्यादा मह्त्वपूर्ण हैं.
दिमाग घनचक्कर की तरह घूम रहा हैं,
किस चीज़ को पहली प्राथमिकता दू,
उलझन बड़ी हैं, नौकरी और घर के बीच में ज़िन्दगी फंसी पड़ी हैं.
इस विषय पर लिखने को तो बहुत कुछ हैं मगर, यहाँ भी असमंजस हैं.
किसी एक पलड़े को भारी करने से अगले का अपने ऊपर ही गिरने भय हैं.
आप लोग खुद ही समझदार हैं ,
between the lines पढने में माहीर हैं.
खुद ही मर्म को समझ लीजियेगा,
अगर कोई रास्ता सूझे तो सबके साथ साझा जरुर करियेगा.