Saturday, September 17, 2011

मैं कौन हूँ .............

मैं जब पैदा होता हूँ, तो मेरे माँ-बाप मुझे अपने सपनो का सौदागर समझते हैं.


मैं थोडा बड़ा होता हूँ, तो स्कूल की फीस भरने के लिए माँ बाप को उदास देखता हूँ.

जैसे तैसे स्कूल से निकल कर कोलेज पहुचता हूँ, तो नए कपड़ो को तरसता हूँ.

माँ बाप की दो रोटी के जुगाड़ की कोशिशो को समझता हूँ.

उनके सपनो को पूरा करने के लिए मेहनत करता हूँ.

सरकारी नौकरी लग जाए तो परिवार को सहारा मिले,

सोच सोच कर हर फॉर्म भरता हूँ.

फिर थक हार कर प्राइवेट नौकरी की राह पकड़ता हूँ.

फिर हर साल नौकरी बदले तो कुछ पैसे मिले,

कही एक जगह टिक कर नहीं रहता हूँ.

बस के धक्के , बॉस की डांट और चलो कल अच्छा हो जायेगा,

की कशमकश में जवानी गुजारता हूँ.

थोडा जमने की कोशिश में शादी करता हूँ,

माँ बाप के सपनो को छोड़ अपनी दुनिया बसाने की कोशिश करता हूँ.

ऑफिस के टेंसन घर पर ले जाकर बीवी से झगड़ता हूँ.

बच्चो के आगमन से फिर नयी कल्पनाये बुनता हूँ.

उनके लिए रोटी , कपडा और मकान की जुगत बिठाने में लग जाता हूँ.

अपने आदर्श , अपनी कुंठाए गाहे बगाहे इज़हार कर लेता हूँ.

कभी लाइनों में लगे लोगो से , या कभी बस के धक्के मुक्को में ,

अपने गुस्से का इज़हार करता हूँ.

कभी किसी नेता की रैली में या कभी अन्ना हजारे के समर्थको ,

मैं ही शामिल होता हूँ.

जब अन्याय मेरे साथ होता हैं, मैं लोगो को उनके साथ न देने के लिए कोसता हूँ.

जब सड़क के किसी के साथ अन्याय होता हैं तो चुपचाप मैं ही खिसकता हूँ.

मैं कौन हूँ .............मैं आम आदमी हूँ.

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