खुदी तेरी और तू खुद का,
फिर तुझे सहारा किसका,
अपनी तकदीर का मालिक तू खुद,
अपनी राहो का अकेला राही तू खुद,
तो चल , अपनी राह पकड़ ,
मुड़कर देख ना दुबारा,
तुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ,
तेरे पीछे कोई हैं या तू चला हैं बिलकुल अकेला.
लक्ष्य तेरा सामने और हौंसला तेरा खुद का,
पा गया तो संतोष तेरा और ना पाया तो गम किसका?
तुझे क्या फर्क पड़ना नाकामयाबियो का,
खुद से ही तो मुकाबला तेरा,
दुसरे तेरी कुव्वत को क्या जानेगे,
उनका काम तो हैं दुसरो को भीड़ में लेकर चलना.
तू खुदी हैं और खुद
तू अपने साथ खड़ा,
चला चल बेफिक्र अपनी राह में खुद को खुदी साबित करना बस काम तेरा.
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