हिटो
ददा भूली , हिटो भे -बेणियओ- पहाड़ बुलौनी !
नौव
ठण्ड पाणी , बांज बूझाणी - सब धात लगौनी !!
पौरो की बखई, धार मी कौ घाम - सब तरसनि !
गद्दुआ
का झाल , उ भट्टाक डुबुक - तुमर राह देखणी !!
आलूक
गुटुक - काकड़ फूलुन - तुमकू बुलौनी !
का
छा रे नान्तिनो - गोल्ज्यू और गंगनाथ ज्यूँ बुलौनी !!
आमेक
बुबु फसक - गुड़ कटक चाह -धरिये रौनी !
आपण
नान्तिनो लीजि पहाड़ आंस बहूनि !!
मेहरा सैप भौत भल लिखछा तुम
ReplyDeleteWah ji wah mehra sahab...cha Gaye...bahote badi
ReplyDeleteवाह दाज्यू बहुत खूब
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