Friday, April 21, 2017

शब्द और भावनाये



शब्दों और भावनाओ की आंखमिचौली जारी हैं , 
कभी शब्द -भावनाओ पर ,  
कभी भावनाये , शब्दों पर भारी हैं !

विषय बहुत , मेरा अल्प शब्दकोष  
बहुत जद्दोजहद हैं , 
मेरी लेखन यात्रा में यही शायद एक मुश्किल हैं ।  

शब्द मेरे संगी साथी अब , 
शब्द ही मेरे तीर - तलवार ,
उमड़ घुमड़ करते रहते , 
अद्भुत हैं शब्दों का संसार

ठहर जाओ कुछ पल अब , 
भावनाओ को दे दो आकार , 
मैं यायावर बन गया हूँ , 
तुम्हे ही देना हैं अब साथ।  

मिलकर शायद कुछ पंकितयों का , 
सृजन हम कर ही लेंगे , 
मेरी कलम से कुछ कविताये , 
बन कर जीवन में रस घोलेंगे।  

Friday, April 7, 2017

लेखन यात्रा



निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में ,
लिए शब्दों का पिटारा ,
भावनाओ की स्याही हैं ,
कलम ही मेरा सहारा।

लिखूंगा , और बेबाक लिखूंगा ,
गद्य लिखूंगा -पद्य लिखूंगा ,
कभी कल्पनाओ में गोते ,
और कभी सच को धार दूँगा।

कभी आपको हँसाऊंगा ,
कभी शायद पलके नम करूँगा ,
यायावर बनकर अब ,
ज़िन्दगी के और नजदीक पहुँचूंगा।

मिलेंगे अपने जैसे मुझे और कई ,
शब्दों का जाल बुनता रहूँगा  ,
जीवन के इस नए सफर में ,
शायद ज़िन्दगी का सार मिलेगा।

अच्छा लगे तो हौंसला देते रहिएगा ,
बुरा लगे तो भी बताइयेगा ,
इस यात्रा में हो सके तो ,
मेरा साथ देते रहियेगा।  

Thursday, April 6, 2017

शब्द कम

शब्द कम ,
भाव बहुतेरे ,
दिल ग़मगीन ,
देखकर मंजर ,
उमड़ घुमड़ रहे हैं विचार अनेक ,

आशा लिखूं ,
निराशा लिखूं ,
कुछ खोने का दर्द लिखूं ,
चंद सिक्के मिले जो उनकी खनक लिखूं ,

यादो का पिटारा खोलूँ ,
वर्तमान का सच लिखूं ,
या भविष्य का कुछ खाका बुनू ,

लिखना तो आदत हैं मेरी ,
बिना लिखे रह भी पाउँगा ,
आड़े तिरछे पिरोकर चंद शब्दो को ,
शायद अधूरी कविता ही लिख पाउँगा। 

फिर भी नाउम्मीदी में उम्मीद को तरजीह देता हूँ ,
घुप्प अँधेरे में प्रकाश की एक लकीर देखता हूँ ,
हर ज़िन्दगी के संघर्ष में ,
उसकी आँखों में एक नयी तस्वीर देखता हूँ। 

उस उदास सूरज को अस्त होते देखता हूँ ,
चाँद को अपनी मुंडेर से झांकते देखता हूँ ,
चहचाहट फिर उन पंछियो की ,
हर सुबह पहली किरण के साथ सुनता हूँ। 

ज़िन्दगी पर फिर रोज़ भरोसा सा होता हैं ,
निकल पड़ता हूँ घर से ,
दिन भर ज़िन्दगी की तमाम उलझने देखता हूँ ,
किसी के चेहरे पर सुकून ,
किसी के चेहरे पर मासूमियत ,
किसी को सब कुछ पा लेने की चाहत ,
किसी को 'कुछ होने पर भी' मस्त देखता हूँ। 

हर रोज़ नए किस्से ,
नई कहानियां ,
नए गीत बनते देखता हूँ। 

कैसे लिखूं और क्या क्या लिखूं ?
शब्द कम ,

भाव बहुतेरे।