शब्दों और भावनाओ की आंखमिचौली जारी हैं ,
कभी शब्द -भावनाओ पर ,
कभी भावनाये , शब्दों पर भारी हैं !
विषय बहुत , मेरा अल्प शब्दकोष
बहुत जद्दोजहद हैं ,
मेरी लेखन यात्रा में यही शायद एक मुश्किल हैं ।
शब्द मेरे संगी साथी अब ,
शब्द ही मेरे तीर - तलवार ,
उमड़ घुमड़ करते रहते ,
अद्भुत हैं शब्दों का संसार
ठहर जाओ कुछ पल अब ,
भावनाओ को दे दो आकार ,
मैं यायावर बन गया हूँ ,
तुम्हे ही देना हैं अब साथ।
मिलकर शायद कुछ पंकितयों का ,
सृजन हम कर ही लेंगे ,
मेरी कलम से कुछ कविताये ,
बन कर जीवन में रस घोलेंगे।