Friday, April 21, 2017

शब्द और भावनाये



शब्दों और भावनाओ की आंखमिचौली जारी हैं , 
कभी शब्द -भावनाओ पर ,  
कभी भावनाये , शब्दों पर भारी हैं !

विषय बहुत , मेरा अल्प शब्दकोष  
बहुत जद्दोजहद हैं , 
मेरी लेखन यात्रा में यही शायद एक मुश्किल हैं ।  

शब्द मेरे संगी साथी अब , 
शब्द ही मेरे तीर - तलवार ,
उमड़ घुमड़ करते रहते , 
अद्भुत हैं शब्दों का संसार

ठहर जाओ कुछ पल अब , 
भावनाओ को दे दो आकार , 
मैं यायावर बन गया हूँ , 
तुम्हे ही देना हैं अब साथ।  

मिलकर शायद कुछ पंकितयों का , 
सृजन हम कर ही लेंगे , 
मेरी कलम से कुछ कविताये , 
बन कर जीवन में रस घोलेंगे।  

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