धन , दौलत और जवानी ,
किसी की सगी नहीं होती ,
आज इसके घर , कल उसके घर।
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दौलत और ताकत ,
वालो के लिए एक नसीहत ,
सिर्फ 'कर्म
" जायेंगे साथ ऊपर।
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ज़िन्दगी ,
सबसे क्षणभंगुर हैं ,
सिर्फ साँसो पर टिकी हैं।
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कुदरत का एक ही वार ,
काफी हैं इंसान को ,
अपनी हद में रहने के लिए।
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तंग आकर इस्तीफा लिखा ,
तभी घर से फ़ोन आ गया ,
अगले महीने बहन की शादी तय हो गयी हैं।
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