एकाकार , एकमत और एकजुट ,
गर किसी दिन हो गए भारतीय ,
तो फिर कौन हमें रोक सकता हैं ,
सवा अरब की हुंकार कौन सुन सकता हैं ।
जरुरी हैं हम पहले अपना मन बनाये ,
जाति - क्षेत्र - धर्म- वर्ण - संप्रदाय से अपने को ऊपर उठाये ,
एक राष्ट्र - एक धर्म : भारतीयता को अपनाये ,
देश हित- सर्वोच्च हित : एकाकार , एकमत और एकजुट हो जाये।
शताब्दियों का इतिहास गवाह हैं ,
हमने खुद से चोट खायी हैं ,
अपने अपने हित ऊपर रखकर ,
हमने गुलामी पायी हैं।
इतिहास से सबक लेकर अब आगे बढ़ना हैं ,
" हम सब भारतीय हैं " - नारा लेकर चलना हैं ,
उठो , जागो - भारतीयों अब , निद्रा का त्याग करना हैं ,
"एक भारत - श्रेष्ठ भारत " बनाना हैं ।
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