चलो , आज कुछ लिखते हैं ,
आपबीती या कोरी कल्पना ,
कुछ प्रेरणादायी या फिर ,
कुछ चुभने वाला ही लिखते हैं।
चलो , आज कुछ शब्दों को प्राण देते हैं ,
गीत बने या कहानी ,
कविता बने या न बने ,
अपनी भावनाओ को आकार देते हैं,
चलो , आज कुछ लिखते हैं।
किसी को अच्छा लगे , न लगे ,
तुकबंदी बने या न बने ,
खत्म हो या न हो ,
कुछ शब्दों से अपने जज्बात बयां करते हैं ,
चलो , आज कुछ लिखते हैं।
जो दिख रहा , जो घट रहा ,
अच्छा हो या बुरा ,
इसकी फिक्र दुसरो पर छोड़ते हैं ,
शब्दों से आज खेलते हैं ,
चलो , आज कुछ लिखते हैं।
पंकितयाँ बने या न बने ,
अर्थ कुछ बने या न बने ,
व्याकरण की चिंता किये बगैर ,
आज कुछ अपने लिए लिखते हैं ,
चलो , आज कुछ लिखते हैं।
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