Saturday, July 8, 2017

चलो , आज कुछ लिखते हैं



चलो , आज कुछ लिखते हैं ,
आपबीती या कोरी कल्पना , 
कुछ प्रेरणादायी या फिर ,
कुछ चुभने वाला ही लिखते हैं।  

चलो , आज कुछ शब्दों को प्राण देते हैं , 
गीत बने या कहानी , 
कविता बने या न बने , 
अपनी भावनाओ को आकार  देते हैं, 
चलो , आज कुछ लिखते हैं।  

किसी को अच्छा लगे , न लगे , 
तुकबंदी बने या न बने , 
खत्म हो या न हो , 
कुछ शब्दों से अपने जज्बात बयां करते हैं , 
चलो , आज कुछ लिखते हैं।  

जो दिख रहा , जो घट रहा , 
अच्छा हो या बुरा , 
इसकी फिक्र दुसरो पर छोड़ते हैं , 
शब्दों से आज खेलते हैं , 
चलो , आज कुछ लिखते हैं।  

पंकितयाँ बने या न बने , 
अर्थ कुछ बने या न बने , 
व्याकरण की चिंता किये बगैर , 
आज कुछ अपने लिए लिखते हैं , 
चलो , आज कुछ लिखते हैं।  

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