कारवां जारी हैं ..................
निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!
Tuesday, August 1, 2017
रेत की घडी
हसरतो का हौंसला तो देखो ,
एक पूरी तो दूसरी तैयार रहती हैं।
भागते भागते इनके पीछे ,
पूरी ज़िन्दगी बीत जाती हैं।
शायद यही ज़िन्दगी को गति देती हैं ,
कदमो को रुकने नहीं देती हैं।
धीरे धीरे रेत की घडी की मानिंद ,
ज़िन्दगी हाथ से फिसलती जाती हैं।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment