कुछ आजमाइशें ज़िन्दगी की ,
कुछ ख्वाहिशें मेरी ,
कुछ तरन्नुम के फ़साने ,
कुछ ज़िन्दगी की बेजारगी ,
बस फकत फ़साना ए ज़िन्दगी है ये ,
कभी वो मुझे कोसे ,
और कभी मैं उसे ,
कभी मैं खिलखिलाऊ ,
कभी उसकी हँसी छूटे।
चलते रहते हैं हम दोनों ,
एक दूसरे का हाथ थामे ,
कभी वो मुझे संभाले ,
कभी मैं हौंसला बढ़ाते।
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