विपक्ष जब हर बात में मीनमेख निकाले ,
बात बात में सरकार को घेरे ,
धरना और हड़ताल जब रोज होने लगे ,
तो समझ जाना चुनाव आने वाले है।
मुख्य मुद्दों से सरकार जब ध्यान भटकाए ,
अनर्गल विषयो पर बात बढ़ाये ,
उपलब्धियां अपनी न गिनाकर ,
पिछली सरकारों पर ठीकरा फोड़े ,
तो समझ जाना चुनाव आने वाले है।
नेताजी की अपने चुनाव क्षेत्र में सरगर्मी बढे
,
हाथ जोड़े वो सबसे मिले ,
आलिशान गाड़ी छोड़ जब वो गली गली में चक्कर मारे
,
पैंतरेबाजी सब आजमाये ,
तो समझ जाना चुनाव आने वाले है।
मीडिया जब शहादत की रिपोर्ट पर कुछ न कहे ,
किसान भले ही आत्महत्या करे ,
ये धर्म , जाति , वर्ण , संप्रदाय पर बहस करे
,
दिन रात मजमा जमाये एक दूसरे पर कीचड़ उछाले
,
"लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि" नारा
जब गूंजने लगे ,
तो समझ जाना चुनाव आने वाले है।
गली गली , सड़क सड़क जब पोस्टरों से अटने लगे
,
कुछ अनजान से चेहरे आपके आगे हाथ जोड़ने लगे ,
रोज़ रोज़ जब वादों की नयी झड़ियाँ लगने लगे ,
सत्ताधारी और विपक्ष का खजाना खुलने लगे ,
तो समझ जाना चुनाव आने वाले है।
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