Friday, March 6, 2020

शग़ल


कही से कोई जादुई छड़ी मिल जाए ,
फिराने मात्र से समस्या हल हो जाए ,
जानता हूँ कपोल कल्पना है ये मेरी ,
फिर हालात-ए-गुलिस्ताँ कैसे सुधारी जाए।

अड़ गए है कुछ अपनी जिद्द पर ,
कुछ के अपने अपने स्वार्थ है ,
मिल जाए ऐसा कोई जिन्न ,
जो सबको एक छतरी के नीचे ले आये।

या मंत्र कोई ऐसा हाथ आये ,
फूंकने  से सब गिले -शिकवे दूर हो जाए  ,
सुरते ए हाल ये है "आनंद" देश का ,
मौका मिलते ही एक दूसरे को खाने दौड़ जाए। 

चंद लोगो की शरारत है ये ,
बाकी सब अमन ऐ चैन है ,
सुलगाते है वो ही तिल्लियाँ ,
राख के ढेर पर बैठना उनका शग़ल है। 


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