Thursday, September 9, 2021

भस्मासुर

 

सर्वश्रेष्ठ कृति ईश्वर की ,

स्वंभू बुद्धिमान प्रजाति धरा की ,

खुद के विकास के लिये ,

ललक भस्मासुर बनने की।

 

चाह सब कुछ मुट्ठी में करने की,

नियंत्रण चाहता ब्रह्माण्ड की ,

ज़िंदा एक पतली सी डोर साँसो की ,

कर्म उसमे भी खलल करने की।

 

दौड़ रहा न जाने क्या पाने को ,

मर रहा तिल - तिल अमर हो जाने को ,

सीधी सी बात न आ रही समझ में ,

ढूँढ रहा रास्ता "भस्मासुर" बन जाने को।

 

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