Thursday, May 26, 2022

बरगद

 

एक चौराहे का बरगद ,

सब देख रहा था ,

बरगद था , इसीलिये बचा था ,

समय का इक लम्बा दौर ,

उसके चारों ओर मढ़ा था ,

हर झूलती शाख उसकी ,

इतिहास की गवाह थी ,

हर जड़ पर जैसे उसके ,

शताब्दियाँ गढ़ी थी ,

हर दौर की निशानियाँ ,

उसके तनों में अंकित थी ,

वो बूढ़ा बरगद ढह जाना चाहता था ,

उसने हवाओं से मिन्नतें की थी ,

न जाने कितने जीवों का आसरा वो ,

उसे शिकायत सिर्फ इंसानो से थी ,

इंसानी चरित्र को वो रोज़ ,

बदलते देख रहा था,

जिस डाल पर बैठा वो ,

उसी को काटते देख रहा था,

अब वह अपनी जड़ें तक सूखा देना चाहता था ,

पता है उसको अब ,

उस जगह को भी खुदना है अब ,

जहाँ वो सहस्त्रों साल से खड़ा था ,

एक नयी सड़क गुजरनी है अब वहाँ से ,

बुलडोजरों की धड़धड़ाहट से ,

वो अब धीरे -धीरे सूख रहा था।


Saturday, May 21, 2022

विश्वास

 

गर इच्छा शक्ति मजबूत तो डर वाजिब नहीं।

मन के विश्वास के सामने कोई मुश्किल नहीं ।1।

 

आत्मबल ने लिखी है विजय की इबारते कई।

तप कर ही निकलता है हीरा खदानों से कहीं ।2।

 

मुश्किलें तो आयेंगी कदम दर कदम पथ पर। 

करे पार बाधाएँ जो विजेता कहलाता भी वहीं ।3।

 

परिस्थितयाँ जाँचती है , तोलती है , परखती है । 

गिरे , संभले , चले - जीवटता की पहचान यही ।4।

 

ज़िन्दगी सिर्फ इक बार मिली है , महसूस कर। 

सार्थक तभी जब पदचिन्हो पर चले कोई ।5। 

 

Thursday, May 12, 2022

शाम

 

हर ढलती शाम में ,

सूरज को निहारता हूँ ,

दूर , बहुत दूर ,

उसको ढलते देखता हूँ ,

अँधेरे के कोहरे को ,

धीरे -धीरे बढ़ते देखता हूँ ,

फिर सब ओर कालिमा ,

जुगनू जैसे चमकते ,

आसमां के सितारे देखता हूँ ,

जीवन कितना अद्भुत ,

संभावना भरा ,

रोशनी और अन्धकार ,

के दहलीज पर खड़ी ,

एक देह को ,

अंतर्मन की पुकार ,

पर अपना रास्ता चुनते ,

देखता हूँ।