Sunday, July 31, 2022

गजब

बड़ा गजब खेला चल रहा है ,
जिसे मौका मिले वो रेल रहा है ,
जहाँ देखो वहाँ अजब शोर हो रहा है ,
सियारों की बारात में शेर नाच रहा है ,
छीना झपटी का खुला खेल चल रहा है ,
बाजार इश्तहारों से अटा पड़ा है ,
नकली सामानों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है ,
असली नेता , नकली नेता सब गड़बड़झाला है ,
घरों से नोटों का अम्बार निकल रहा है ,
सामाजिकता सिमट कर एक टुनटुने में आ गई ,
सोशल मीडिया का हर जगह बवाल चल रहा है ,
जनता की हाय कौन सुने यहाँ ,
कोई "भक्त " , कोई " चमचा " में तुल रहा है ,
असमंजस ही असमंजस है हर जगह ,
बस वो चौराहे पर बैठा पागल - दिल खोलकर हँस रहा है।   

3 comments:

  1. कल्पनाओं से निकल कर मस्त लिखा है भाई

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