Wednesday, August 17, 2022

हल्के दर्जे का कवि

 

किसी ने मुझसे कहा ,

तुम बहुत हल्के दर्जे के कवि हो ,

ऊपर से , हिन्दी में लिखते हो ,

तुर्रा ये , खुद को कवि कहते हो ,

तुम्हारी कवितायेँ साहित्य श्रेणी में नहीं आती ,

तुम्हारी हर कविता में कोई न कोई कमी है ,

प्रेम पर तुम्हारा  ज्ञान अधूरा है ,

सामयिक विषयों में समझ की कमी है ,

रस ,लय या अलंकार भी कोई चीज होती है ,

चंद पिरोये शब्दों से कोई कविता नहीं बनती है, 

तुकबंदी भी आपसे ढंग से नहीं होती है,

कलम की धार तुम्हारी कच्ची है ,

तुम्हारी लिखाई दिल को चुभती है ,

तुम्हारी लेखनी बस इक उम्मीद देती है ,

वास्तविकता के धरातल से परे होती है ,

तुम बस आवेश के वशीभूत लिख देते हो ,

शायद खुद के लिये ही लिखते हो ,

मैं , निरुत्तर , बस सुने जा रहा था ,

बस इतना सा बोल पाया ,

दिल की गहराइयों से बहुत -बहुत धन्यवाद ,

बस आप ही हो जो मुझे गंभीरता से पढ़ते हो।

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