Friday, September 30, 2022

उस पार

 

नहीं , वो मर नहीं सकता ,

फफक -फफक वो रो पड़ी ,

गयी भी नहीं देखने ,

अंतिम बार उसका चेहरा ,

बंधनो में जकड़ी थी ,

याद था उसको वादा ,

जो वर्षों पहले उसने ,

किया था एक दिन ,

उसने भी दोहराया था ,

बीत गए थे जाने कितने वसंत ,

वादा मगर हमेशा ताजा रहा ,

उम्मीद पर अनगिनत दिन गुजर गए ,

साँझ हो गयी जीवन की ,

मगर वादा बूढ़ा हुआ ,

आज ऐसी अनहोनी कैसे हो गयी ,

वो कैसे जा सकता था ?

अब तो मिलने के लिए ,

शायद उसको भी ,

उस पार जाना ही होगा,

बस "धड़ाम " की हल्की आवाज हुई ,

उस पार शायद मिलन ,

जरूर हुआ होगा,

इस पार तो उनका प्रेम ,

बेड़ियों में ही जकड़ा रहा। 

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