Sunday, February 19, 2023

पाँच ग्राम


गरजा दुर्योधन ,

" पाँच ग्राम तो क्या ?

सुई की नोक के बराबर जमीन नहीं दूँगा ,

जो करना है , कर लो केशव ,

तनिक भी अब अपने फ़ैसले से नहीं हटूँगा। "

 

शांतिदूत कृष्ण बोले ,

"विचार कर ले दुर्योधन ,

इस निर्णय पर अब सब कुछ निर्भर होगा ,

कुरुवंश का भविष्य अब इसी पर तय होगा ,

हठ छोड़ , संयम दिखा ,

आज अपना बड़प्पन दिखा ,

देख , कोई कुरु तुझसे सहमत नहीं है ,

बालहठ छोड़ , शांति अपना। "

 

भोंहे तन गयी , आँखे हुई लाल ,

विवेक मर गया दुर्योधन का ,

बोला शब्द विकराल ,

" दुःशासन , बाँध लो इस दूत को ,

यही इस सबका मूल हैं  ,

रणछोड़ यह , ग्वाला है ,

ढोंगी , पाखंडी , डरपोक,

पांडवो का रखवाला है। "

 

"रुक दुर्योधन ,

क्या अनर्थ करने वाला है ,

क्या तू जानता नहीं ,

सामने खड़ा वो सबका काल है। "

भीष्म ने क्रोध से कहा।

 

" पितामह , आप चाहे तो पाला बदल लो ,

अब आपके बूढ़े प्राणों में जान नहीं है ,

धनुष में वो तान नहीं है ,

इस बाँसुरी बजैये से व्यर्थ डरते हो ,

ला जंजीरें दुःशासन , हाथ बढ़ा ,

जहाँ जन्मा था ये कृष्ण , आज वही पहुँचा। "

 

" आजा दुर्योधन , ला दुःशासन ,जंजीरें ला ,

बाँध सकता है तो आज बाँध के दिखा ,

मति फेर दी है काल ने तेरी ,

तू खुद का दुश्मन आज बना ,

शांति के अंतिम प्रयास को ,

तूने आज विफल किया ,

रणचंडी खप्पर लेकर नाचेगी अब ,

दुर्योधन ! युद्ध तेरे अब नाम हुआ।“

 

कुरु सभा में ये कैसा वज्रपात हुआ ,

बाँधने चले उसको जो निराकार हुआ ,

धृतरास्ट्र की अंधी आँखे ,

क्या ये नजारा देख पाती ,

भरे दरबार केशव का अपमान हुआ।

 

केशव ने ज्यू -ज्यू आकार ऊँचा किया ,

कुरु सभा में हाहाकार मचा ,

विदुर और भीष्म हाथ जोड़े ,

दुःशासन लाचार हुआ,

प्रकाश फ़ैल गया सभा में ,

हतप्रभ से ,ठगे से -मौन सब ,

बोले चक्रधारी गोवेर्धन मधुसूदन ,

“सुन दुर्योधन , युद्ध तू आज ही हार गया ,

मेरी जगहँसाई न हो ,

मैं सिर्फ इसलिये आया था ,

रोक सकता था मैं युद्ध ,

कल मुझपर ये लाँछन न आये ,

मूढ़बुद्धि , युद्ध कोई समाधान नहीं ,

शांति से फूल खिलते है ,

अच्छा , अब कुरुक्षेत्र में मिलता हूँ,

युद्ध तो अभी ख़त्म कर देता ,

चक्र से अपने सब धुआँ कर देता ,

लेकिन फिर कोई अर्थ नहीं रह जायेगा ,

धर्म -अधर्म की लड़ाई से जग मरहूम रह जायेगा ,

महाभारत होगी अब कुरुक्षेत्र में ,

तू कुरु वंश का कलंक कहलायेगा।“

 

विदुर खामोश , भीष्म लाचार ,

कर्ण -शकुनि हर्षाये अपार ,

धृतरास्ट्र की मति ह्रास ,

कुरुक्षेत्र में तय हो गया ,

होगा भयंकर नर -सँहार ,

रोक न पाए चक्रधारी भी ,

कोशिश की थी अंतिम बार,

कुरुसभा साक्षी बनी,

विफल हुआ अंतिम प्रयास।

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