आमने -सामने खड़ी थी ,
दोनों तरफ सेना अपार ,
अस्त्र -शस्त्र से लैस ,
कुरु वंश के सब आधार।
एक तरफ पांडव संग द्वारकादीश ,
दूसरी तरफ कौरव संग देवव्रत " भीष्म
" ,
सज्ज हुई दोनों सेनाएँ , तैयार करने रण
,
नहीं दिख रहा दूर -दूर तक कर्ण।
समय की कैसी अजब लीला है ,
लीलाधर खुद हाँक रहे अर्जुन का रथ ,
एक जिद्द ने झोंक दिया सब ,
अब क्या अर्थ और क्या अनर्थ।
शकुनि बत्तीसी निपोरे ,
सपना हुआ उसका साकार ,
निर्बुद्धि दुर्योधन समझे ,
सेना उसकी अपार।
जमघट लगा योद्धाओं का ,
धुआँ -धुआँ सा फैला चारों ओर,
कुरुक्षेत्र का आसमां हुआ विकराल ,
अजब शांति थी दोनों ओर।
वीर एक से बढ़कर एक ,
सज्ज हुए मरने -मारने दोनों ओर ,
हाय विधाता ! युद्ध ही बचा अंतिम विकल्प
,
बहेंगी नदियाँ खून की अब ,चहुँओर।
कुरुक्षेत्र की भी क्या नियति है ?
उसको कलेजा रखना होगा ,
गिरेंगे जब महावीर उसकी छाती पर ,
न जाने कितनी बार कलेजा फटना होगा।
एक तरफ सात अक्षोहिणी सेना ,
दूसरी तरफ ग्यारह अक्षोहिणी धुरंधर ,
पांच योजन की भूमि पर ,
तय हुआ -होगा युद्ध भीषणतम।
वक्त भी ठहर सा गया ,
देख रहा सब आँखे फाड़ ,
जीत -हार की चिंता नहीं उसे ,
गवाह बनना है उसे इस बार।
कुरुक्षेत्र अपनी किस्मत को रोये ,
इस महासमर में बहेगी खून की धार ,
उसके माथे ही लिखा जायेगा ,
यही लड़ा गया महायुद्ध एक बार।
महज एक शंखध्वनि दूर ,
दोनों ओर खड़े मतवाले थे ,
कुरुवंश के दो धड़े -देखो ,
कुरुक्षेत्र में आ डटे थे।
युद्ध तो फिर युद्ध है ,
क्रोध मति सब हर लेता हैं ,
क्या धर्म -क्या अधर्म फिर ,
सब कुछ नोच लेता हैं।
फिर जब युद्ध ही मात्र विकल्प बचा हो ,
शक्ति ही शांति का द्वार खोलेगी ,
इस महायुद्ध के बाद तो न जाने ,
धरती भी कितने दिनों का शोक करेगी।
न जाने कितने बच्चे अनाथ होंगे ,
न जाने कितने सुहाग उजड़ेंगे ,
कहाँ , किसको ,कब अब फिक्र है ,
सज गया मैदान -महाभारत तय हैं।
Awesome Text..very well written...👍👍👍👍👍
ReplyDeleteक्या बात है बहुत अच्छा लिखा
ReplyDeleteGood 👍
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