Monday, September 18, 2023

गाँव और शहर

 

बहुत खूबसूरत दिखते है ये शहर ,

आसमां से बातें करती इमारतें ,

चौड़ी सड़कों पर सरपट भागती ,

लम्बी - चौड़ी , चमाचम गाड़ियाँ,

खिलते मुस्कराते बाज़ार गुलजार ,

लोगों के झुण्ड ही झुण्ड ,

सब अपने आप में व्यस्त ,

सजावट करीने की, फैशन हजार ।

 

एक मेरे गाँव का बाजार ,

मिलकर दूकान बस चार ,

फुरसत ही फुर्सत सबको ,

पूछ लेते है पूरा हाल समाचार ,

न भी हो पल्ले में , कल दे देना ,

सामान बैग में ठूँस देते है दूकानदार ,

चाय की एक छोटी सी टपरी पर ,

चार लोग ही नाप डालते है सारा संसार। 

 

अच्छा शहर भी है , गाँव भी सुन्दर,

न एक दूसरे से कमतर , न बेहतर ,

किसी को सुकूं गाँव में ,

किसी का सपना है शहर ,

दौड़ना सब जगह ही है पेट खातिर ,

अंतर बस इतना है ,

शहर चाहता है अब गाँव सा सुकून ,

और गाँव हो जाना चाहता है शहर। 

 

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