जितना आपको जानना चाहता हूँ ,
उतना गहरा आपको पाता हूँ ,
मैं जड़बुद्धि , हे ! परमेश्वर ,
तेरी ओट में रहना चाहता हूँ।
तेरे प्रकाश पुँज से उत्पन्न ,
तुझमें ही इक दिन विलीन होना है ,
तेरी रहमतों से ही ईश्वर,
जीवन पथ मेरा चलना हैं।
न कोई शिकायत मेरी ,
न कोई शिकवा है ,
जो खोया -पाया नसीब मेरा ,
तेरी तो बस रहमत हैं।
सुःख -दुःख के पलड़े ,
जीवन पथ चलते रहते है,
तुझ पर अटूट विश्वास से ,
दिन मेरे कटते रहते है।
सौंप देता हूँ रोज़ अपनी नैया ,
तू ही बस मेरा खैवय्या है ,
चिंता फिर किस बात की मुझे ,
जीवन सागर पार उतरना है।
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