Tuesday, November 7, 2023

जीवन नैय्या

 


 जितना आपको जानना चाहता हूँ ,

उतना गहरा आपको पाता हूँ ,

मैं जड़बुद्धि , हे ! परमेश्वर ,

तेरी ओट में रहना चाहता हूँ। 

 

तेरे प्रकाश पुँज से उत्पन्न ,

तुझमें ही इक दिन विलीन होना है ,

तेरी रहमतों से ही ईश्वर,

जीवन पथ मेरा चलना हैं। 

 

न कोई शिकायत मेरी ,

न कोई शिकवा है ,

जो खोया -पाया नसीब मेरा ,

तेरी तो बस रहमत हैं।  

 

सुःख -दुःख के पलड़े ,

जीवन पथ चलते रहते है,

तुझ पर अटूट विश्वास से ,

दिन मेरे कटते रहते है।

 

सौंप देता हूँ रोज़ अपनी नैया ,

तू ही बस मेरा खैवय्या है ,

चिंता फिर किस बात की मुझे ,

जीवन सागर पार उतरना है। 


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