सबका अपना -अपना सफर ,
सबकी अपनी -अपनी दौड़
,
सबके अपने -अपने सुःख
-दुःख ,
सबकी अपनी -अपनी ठौर।
कौन कहाँ से चला -कहाँ
तक पहुँचा ,
सबकी अपनी -अपनी कहानी,
गुजरता रहेगा जिंदगी
का कारवाँ ,
इक अनुभव का नाम ज़िंदगानी।
कौन मिला , कौन बिछड़ा
,
क्या हार हुई , जीत क्या
हुई ,
कितनों को मुस्कान दी
,
यही इस सफर की कमाई।
वक्त जो मिला है , नियामत
है ,
उधार की साँसे , किराये
का घर है ,
खोने जैसा कुछ भी नहीं
यहाँ ,
जो मिला है , वो भी इनायत
है।
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