निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!
हम , अधिकतर ,
अपनी क्षमताओं को कमतर आँकते है ,
और जो , अपनी क्षमताओं से ऊपर बढ़कर ,
कार्य कर जाते है ,
वही इतिहास बना जाते है,
दुर्भाग्य से , अधिकतर ,
किसी भी कारणवश ,
अपनी क्षमताओं का प्रयोग ,
किये बिना ही ,
समस्त जीवन गुजार देते है।
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