Sunday, November 23, 2025

जेन ज़ी कविता

 

बातों ही बातों में कल मेरी बेटी बोली ,

पापा अब नई कवितायें लिखनी होगी ,

वैसे भी हमारी जेनेरशन कवितायें पढ़नी भूल रही ,

उनके हिसाब से अब लिखनी होंगी।

 

मन विचलित, मस्तिष्क परेशान ,

कहाँ से लाऊँ अब ये ज्ञान ,

मगर अब जुड़ना होगा तो ,

इस दौर की कवितायें लिखनी ही होंगी।

 

लगे हाथ उसने दे दिया एक सुझाव ,

आई का इस्तेमाल करो ,

प्रोम्प्ट देकर उससे अब ,

अपनी कवितायें रचने को कहो।

 

अब कवितायें भी आई लिख देगा ,

कवियों अब तुम्हारा क्या होगा ,

मानवीय संवेदनाओ को अब ,

आई अपने कृत्रिम भावों से सीचेंगा।

 

एक ही प्रोम्प्ट पर अलग -अलग रस की ,

वो झटपट नौ कवितायें रच  देगा ,

" आनन्द " तुम खेती करना सीखो अब ,

कवितायें तो तुमसे बेहतर आई लिख देगा।

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