बातों ही बातों में कल मेरी बेटी बोली ,
पापा अब नई कवितायें
लिखनी होगी ,
वैसे भी हमारी जेनेरशन
कवितायें पढ़नी भूल रही ,
उनके हिसाब से अब लिखनी
होंगी।
मन विचलित, मस्तिष्क
परेशान ,
कहाँ से लाऊँ अब
ये ज्ञान ,
मगर अब जुड़ना होगा
तो ,
इस दौर की
कवितायें लिखनी ही होंगी।
लगे हाथ उसने दे दिया एक
सुझाव ,
ए आई का
इस्तेमाल करो ,
प्रोम्प्ट देकर उससे अब ,
अपनी कवितायें रचने को कहो।
अब कवितायें भी
ए आई लिख देगा
,
कवियों अब तुम्हारा क्या
होगा ,
मानवीय संवेदनाओ को अब ,
ए आई अपने
कृत्रिम भावों से सीचेंगा।
एक ही प्रोम्प्ट
पर अलग -अलग रस की ,
वो झटपट नौ
कवितायें रच देगा
,
" आनन्द " तुम खेती करना सीखो अब ,
कवितायें तो तुमसे बेहतर
ए आई लिख देगा।
AI Ek din sabko dependent bana dega.
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