Monday, December 8, 2025

अंतिम मुलाक़ात

 

बहुत कुछ कहना था उस मुलाकात में ,

जिसे हम अंतिम मुलाकात कह रहे थे ,

अगले दिन से हमने अलग -अलग रास्ते चुन लिए थे ,

मर्ज़ी से , उसे कोई शिकायत थी , मुझे कोई गिला ,

हमें पता था यही तक का सफर है हमारा ,

उसे आगे बढ़ जाना था और मेरा सफ़र भी जुदा था ,

दोनों के बीच कोई कड़ुवाहट नहीं थी ,

थे तो वो पुराने बेहतरीन दिन , जो हमने बिताये थे ,

हमारे बीच उस दिन ख़ामोशी ज्यादा थी ,

शायद अल्फाज कम पड़ रहे थे ,

मुस्कराहट के साथ हमने इक दूसरे को अलविदा कहा ,

और अपने -अपने रास्ते चल दिये ,

मुड़ -मुड़कर देखते रहे जब तक ओझल हो गये

एक ख़ालीपन सा जीकर उस रात ,

हमारे रास्ते अलग -अलग हो गये ,

इस आस फिर भी बनी रही ,

वो हमारी "अंतिम मुलाकात " साबित हो।

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