कहो ,
जो दिल में है , कहो,
कोई सुनने वाला न भी हो ,
तब भी कहो ,
अनकही बातें ,
दिल से होते हुए ,
दिमाग में घुस जाती है ,
और कारण बन जाती है ,
अवसादों के ,
और अवसाद में पड़कर ,
धीरे -धीरे शरीर भी ,
कमजोर होने लगता है ,
कहो ,
कोई न मिले ,
तो दीवारों से कहो ,
किसी पहाड़ी में जाकर ,
जोर से कहो ,
कोई नहीं भी सुनेगा तो ,
प्रकृति सुन लेगी ,
और मन , दिमाग , शरीर ,
सब हल्का होकर ,
आराम देगा ,
खाली हुई जगह में ,
नई ऊर्जा और ,
नया सामर्थ्य भरेगा,
मन से ,
दिमाग से ,
गुबार निकाल देने वाले ,
अक्सर ज्यादा जीते है ,
और स्वस्थ रहते है।
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