Saturday, August 6, 2011

सपने और हकीकत ........

लडकपन में सोचते थे बड़े होंगे,


शहर जायेंगे और नौकरी करेंगे,

खूब पैसे कमाएंगे और

बढ़िया से जियेंगे.

बड़ा सा घर बनायेंगे ,

लम्बी सी कार खरीदेंगे,

दुनिया में सैर करने जायेंगे.

और लोगो को ठाठ दिखायेंगे,

बड़े हुए और शहर भी आये ,

नौकरी भी की मगर आगे के सपने पूरे नहीं हो पाए.

घर तो दूर की बात, किराये के मकान में रहते रहते बेहाल हो गए,

लम्बी सी गाड़ी तो कोसो दूर की बात जान पड़ी,

स्कूटर खरीदने के पैसे भी जमा नहीं हो पाए.

रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में ऐसे उलझे ,

घूमना तो दूर अपने गाँव भी जाने के लिए सोचने लगे.

सच में यही ज़िन्दगी हैं ................

( आगे की बात.... आप सब इतने समझदार हैं - खुद ही अपनी ज़िन्दगी में झांक लीजिये)

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