जागो देश के नौनिहालो !
देश आज पुकार रहा !!
देकर मुझे नेताओ के हाथ !
तू क्यों सो रहा ? !!
क्या इसीलिए लाखो ने अपनी क़ुरबानी दी थी ? !
मेरी आज़ादी के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़ी थी !!
माना की तू अपनी रोज़ी रोटी कमाने में व्यस्त
हैं !
मगर याद रख - मेरा भी तो तुझपर क़र्ज़ हैं !!
स्वार्थी भेड़िये मुझे नोच नोच कर खा रहे हैं
!
अपना दीन ईमान सब बेच रहे हैं !!
रोम रोम मेरा काँप रहा !
क्योंकि मेरा लाल अभी सो रहा !!
वर्दी वालो ने वर्दी बेच दी !
नेताओ ने शर्म बेच दी !!
कोई धर्म के नाम पर गरिया रहा !
कोई जात पात की रोटियां सेंक रहा !!
देख कर मेरे घर की हालात !
अदना पडोसी भी धमका रहा !!
चाल दुश्मन चल रहा ,भाई भाई में फूट डाल रहा !
गंगा जमुना की तहजीब में विष कोई घोल रहा !!
माँ बहनो की इज्जत से रोज़ खिलवाड़ हो रहा !
क्योंकि मेरा लाल अभी सो रहा !!
अब भी अगर न उठा तू , बहुत
देर हो जाएगी !
तेरी "भारत माता" फिर से गुलामी की
जंजीरो में जकड जायेगी !!
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