ज़िन्दगी कुछ चाहती रही , हम कुछ और चाहते रहे
!
कशमकश
चलती रही , फासले बढ़ते गए !!
ज़िन्दगी दिल से चलती रही , हम दिमाग की सुनते
रहे !
चले दोनों एक साथ थे , अब मीलो के फ़ासले हो गए
!!
वो मेरी एक मुस्कान को तरसती रही !
हम बेफिजूल उस पर झल्लाते रहे !!
वो अब भी हर रोज़ फिर से मौका देती हैं !
मुस्करा कर हर रोज़ स्वागत करती हैं !!
हम उलझे रहते हैं हर रोज़ , उसकी मुस्कान को किनारा
करते हैं !
वह हर रोज़ अपनी वफ़ा निभाती हैं, उसकी हिम्मत
की दाद देते हैं !!
उसकी तो गुजारिश बस इतनी सी रहती हैं !
जब तक साथ हूँ , जी भर के मुस्कराते जी ले
!!
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