ये दिल्ली का मौसम ,
बहुत कुछ सिखाता है।
पहाड़ो में बर्फ गिरे ,
दिल्ली में हाड़ कंपा देता है।
राजस्थान में लू चले ,
यहाँ जीना मुहाल हो जाता है।
दक्षिण में कुछ घटना घटे ,
जंतर मंतर भर जाता है।
पूरब की हर आँच का ,
सीधा असर इस पर होता है।
देश को चलाने का ,
यही से हर फैसला होता है।
रहते करोडो है यहाँ ,
मगर कोई इसको "अपना घर" नहीं कहता है।
रुसवाई को हर बार ,
हँस के सह लेता है।
" दिल " हैं ना , समझकर भी सब कुछ ,
अपने "भारत " के लिए धड़कता है।
बहुत कुछ सिखाता है।
पहाड़ो में बर्फ गिरे ,
दिल्ली में हाड़ कंपा देता है।
राजस्थान में लू चले ,
यहाँ जीना मुहाल हो जाता है।
दक्षिण में कुछ घटना घटे ,
जंतर मंतर भर जाता है।
पूरब की हर आँच का ,
सीधा असर इस पर होता है।
देश को चलाने का ,
यही से हर फैसला होता है।
रहते करोडो है यहाँ ,
मगर कोई इसको "अपना घर" नहीं कहता है।
रुसवाई को हर बार ,
हँस के सह लेता है।
" दिल " हैं ना , समझकर भी सब कुछ ,
अपने "भारत " के लिए धड़कता है।
बहुत सुंदर शुरआत है सर जी।
ReplyDeleteNice lines
ReplyDelete