Friday, July 5, 2019

बारिश की पहली बूँद

बारिश की पहली बूँद 
जब धरा पर गिरी , 
सूखी मिट्टी ने उड़कर , 
उसे गले लगा लिया , 
रच बस कर जब दोनों गिरे , 
धरा पर , 
सावन आ गया।  

सोंधी सी सुगंध , 
मिट्टी बौरा गयी , 
बादलो ने देखो , 
उसकी झोली भर दी, 
लहलहा उठा , 
तन मन , 
कपोले उसके सीने से , 
फूट पड़ी , 
आलिंगन कर बारिश का , 
देखो ! धरा सज गयी।  

निर्लज्ज , बेवफा 
कितनी देर लगा दी , 
बूँदो तुमने धरा की , 
जान हलक में ला दी ,
आये हो अब तो , 
निहाल कर दो , 
कण कण में समा कर , 
 " मिट्टी " को सोना कर दो।   

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